वर्ल्ड वाइड वेब (WWW) – इंटरनेट की क्रांति की कहानी
आज का आधुनिक युग इंटरनेट के बिना अधूरा माना जाता है। संचार, जानकारी, शिक्षा, व्यापार और मनोरंजन—हर क्षेत्र में इंटरनेट ने क्रांतिकारी बदलाव लाए हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि इस डिजिटल क्रांति की नींव वर्ल्ड वाइड वेब (WWW) ने रखी थी? जिस तकनीक की मदद से आज हम वेबसाइट्स देखते हैं, ईमेल भेजते हैं या सोशल मीडिया चलाते हैं, उसका जन्म आज से लगभग 30 साल पहले हुआ था।
वर्ल्ड वाइड वेब का आविष्कार ब्रिटिश वैज्ञानिक सर टिम बर्नर्स-ली ने साल 1989 में किया था। उस समय वह यूरोपियन ऑर्गनाइजेशन फॉर न्यूक्लियर रिसर्च (CERN) में कार्यरत थे। टिम बर्नर्स-ली ने एक ऐसे सिस्टम की कल्पना की, जिसमें दुनिया भर के वैज्ञानिक आपस में जानकारी साझा कर सकें। उन्होंने 1990 में पहला वेब ब्राउज़र और पहला वेब सर्वर विकसित किया। इसके बाद, 6 अगस्त 1991 को वर्ल्ड वाइड वेब को आम जनता के लिए लॉन्च कर दिया गया।
वर्ल्ड वाइड वेब असल में इंटरनेट पर काम करने वाली एक सेवा है। यह वेब पेजों को HTTP (HyperText Transfer Protocol) के माध्यम से ब्राउज़र में लाता है। हर वेब पेज का एक URL (Uniform Resource Locator) होता है, जिससे हम उसे आसानी से ढूंढ़ सकते हैं। HTML (HyperText Markup Language) नामक भाषा के माध्यम से इन वेब पेजों को डिज़ाइन किया जाता है।
WWW ने इंटरनेट को आम लोगों के लिए उपयोगी और आकर्षक बना दिया। पहले जहां इंटरनेट केवल टेक्निकल लोगों के लिए सीमित था, वहीं वेब ने इसे आम जनता के लिए खोल दिया। इसके कारण न केवल सूचना का आदान-प्रदान आसान हुआ, बल्कि ऑनलाइन शॉपिंग, बैंकिंग, शिक्षा, सोशल नेटवर्किंग और मनोरंजन के नए द्वार भी खुले।
टिम बर्नर्स-ली का उद्देश्य एक मुक्त और स्वतंत्र वेब बनाना था। उन्होंने वेब का पेटेंट नहीं करवाया, ताकि यह सेवा दुनिया भर में बिना किसी रुकावट के फैलाई जा सके। आज भी वे World Wide Web Consortium (W3C) के माध्यम से वेब की स्वतंत्रता, सुरक्षा और निष्पक्षता के लिए कार्य कर रहे हैं।
आज वर्ल्ड वाइड वेब के बिना जीवन की कल्पना करना मुश्किल है। जिस तरह बिजली और पानी हमारे जीवन के अनिवार्य साधन बन चुके हैं, उसी तरह WWW भी एक बुनियादी आवश्यकता बन चुका है। यह कहना अतिशयोक्ति नहीं होगी कि टिम बर्नर्स-ली की यह खोज मानव इतिहास की सबसे प्रभावशाली खोजों में से एक है।