CPCT Mock Test in Hindi

30th Sep 2023 Shift 01 CPCT Comprehension Questions Previous Year Paper

 CPCT Exam Reading Comprehension Free Online Test 

30th Sep 2023 Shift 01 CPCT Comprehension Questions Previous Year Paper 

दिए गए  गद्यांश को पढ़िए और उसके बाद आने वाले प्रश्नों के उत्तर दीजिए। 

दिए गए गद्यांश को पढ़ें और उसके आधार पर प्रश्नों के उत्तर दें।

दुग्ध व्यापार

डेयरी व्यवसाय भारत में 60 मिलियन ग्रामीण परिवारों को आजीविका प्रदान करता है और भारत दुनिया में दूध का सबसे बड़ा उत्पादक बना हुआ है। लेकिन ग्लोबल वार्मिंग आने वाले वर्षों में समग्र उत्पादन पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकता है। भारतीय डेयरी वैज्ञानिकों का अनुमान है कि जलवायु परिवर्तन से 2020 तक प्रति वर्ष 3 मिलियन टन (एमटी) से ऊपर दूध उत्पादन में कमी आएगी। कृषि मंत्रालय के साथ राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड द्वारा साझा किए गए अनुमानों के मुताबिक देश में दूध की बढ़ती मांग चिंता का एक कारण है, जो कि 2020-21 तक 200 मीट्रिक टन होने का अनुमान है।

भारत में दूध उत्पादन में 1950-51 में 17 मीट्रिक टन से 2015-16 में 160 मीट्रिक टन तक लगातार वृद्धि हुई है। यह जानना दिलचस्प होगा कि 51% दूध भैंस द्वारा, 25% क्रॉस-ब्रीड गायों द्वारा, 20% 'देसी' (स्वदेशी) गायों द्वारा और 4% बकरियों द्वारा प्राप्त होता हैं। लेकिन क्रॉस-नस्लों वाली गायों पर बढ़ते तापमान का प्रभाव घरेलू मांग को पूरा करने में कठिनाई पैदा करेगा। यह देखा गया है कि स्वदेशी नस्ल कम से कम ग्लोबल वार्मिंग से प्रभावित होती हैं। इसलिए, U.S., ब्राजील और कनाडा समेत दुनिया के प्रमुख उत्पादक देश गर्मी प्रतिरोधी प्रजातियों को विकसित करने के लिए भारतीय दूध उत्पादक जानवरों का आयात कर रहे हैं। भारत सरकार भी अपने राष्ट्रीय गोकुल मिशन कार्यक्रमों के माध्यम से स्वदेशी नस्लों पर ध्यान केंद्रित कर रही है।

केंद्र "गोकुल ग्राम" स्थापित करने में राज्यों की सहायता कर रहा है जो वैज्ञानिक रूप से स्थानीय किसानों को गायों और भैंसों की "देसी" नस्लों की रक्षा करने में मदद करेगा। अब तक केंद्र सरकार ने विभिन्न राज्यों में 14 गोकुल ग्राम स्थापित करना अनुमोदित किया हैं।

ये गोकुल ग्राम आत्मनिर्भर केंद्र होंगे। वे दूध, जैविक खाद, वर्मी-कंपोस्ट इत्यादि की बिक्री से अपने संसाधन उत्पन्न करेंगे। वे घर में खपत के लिए बायो-गैस से बिजली का उत्पा दन भी करेंगे। प्रत्ये क गोकुल ग्राम में 1000 जानवरों को रखने की क्षमता होगी।

गायों की स्वदेशी नस्लें न केवल ग्लोबल वार्मिंग के प्रभाव से लड़ने के लिए सबसे उपयुक्त हैं बल्कि इन्हें प्रोटीन युक्त दूध का उत्पादन करने के लिए भी जाना जाता है जो हमें विभिन्न दीर्धकालिक स्वास्थ्य समस्याओं से बचाता है। स्वदेशी मवेशियों की संख्या बढ़ाने और ऐसी नस्लों को संरक्षित करने के लिए, सरकार ने दो राष्ट्रीय कामधेनु प्रजनन केंद्र स्थापित करने की भी योजना बनाई है। आंध्र प्रदेश में ऐसा एक केंद्र स्थापित किया जा रहा है जबकि दूसरा मध्य प्रदेश मेंकिया जाएगा।

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